महाराज बीरेंद्र सिंह जी

महाराज बीरेंद्र सिंह जी
महाराज बीरेंद्र सिंह जी का जन्म 21 नवंबर 1979 को श्री मियां सिंह ढिल्लों और श्रीमती संतोष देवी के घर हुआ। सन 1993 में, मात्र 14 वर्ष की आयु में, वे डेरा जगमालवाली पधारे और परम संत गुरबख्श सिंह जी (मैनेजर साहिब जी) से नामदान (आध्यात्मिक दीक्षा) प्राप्त की। यह पावन दीक्षा उनके जीवनभर की आध्यात्मिक यात्रा और डेरे में निःस्वार्थ सेवा के संकल्प की शुरुआत बनी। तब से वे स्थायी रूप से डेरे में रहकर ध्यान, अध्ययन और सेवा में लीन रहे।
डेरे में निवास करते हुए, महाराज जी ने कला स्नातक (B.A.) की डिग्री पूरी की और बाद में चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की उपाधि प्राप्त की। पढ़ाई के साथ-साथ वे परम संत गुरबख्श सिंह जी और परम संत बहादुर चंद जी के साथ नियमित रूप से भजन-शब्द गायन में सम्मिलित होते रहे।
मैनेजर साहिब जी के देहांत के बाद, महाराज बीरेंद्र सिंह जी ने 26 वर्षों तक परम संत बहादुर चंद जी के निजी सेवक के रूप में उनकी सेवा पूरी निष्ठा और समर्पण से की। सन 2002 में, उन्हें डेरा का ट्रस्टी नियुक्त किया गया, जिसमें वे परम संत बहादुर चंद जी के आध्यात्मिक दौरों के दौरान संगठनात्मक कार्यों और प्रबंध की जिम्मेदारी संभालते रहे।
सन 2015 में, परम संत बहादुर चंद जी ने लिखित वसीयत के माध्यम से महाराज बीरेंद्र सिंह जी को अपना आध्यात्मिक उत्तराधिकारी घोषित किया, जिसे 2023 में आधिकारिक रूप से पंजीकृत किया गया। 1 अगस्त 2024 को वकील साहिब जी के देहावसान के उपरांत, 45 वर्ष की आयु में, महाराज बीरेंद्र सिंह जी ने डेरा जगमालवाली की पूर्ण आध्यात्मिक जिम्मेदारी संभाली।
आज, महाराज बीरेंद्र सिंह जी, विनम्रता, भक्ति और समर्पण के साथ, डेरा की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं, नामदान दे रहे हैं और सच्चे साधकों को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा दे रहे हैं।