सन 1966 में परम संत गुरबख्श सिंह “मैनेजर साहिब” जी द्वारा स्थापित, डेरा जगमालवाली एक आध्यात्मिक संस्था है,
जो सच्चे जिग्नासुओ को उनके अंदर बिराजमान परमात्मा से जुड़ाव, आंतरिक शांति, और उच्च चेतना की ओर मार्गदर्शन करती है।
यहाँ की शिक्षाएँ चार मुख्य स्तंभों पर आधारित हैं:
सिमरन (ध्यान)
सत्संग (आध्यात्मिक प्रवचन)
सेवा (निस्वार्थ कर्म)
सदाचार (नैतिक पवित्रता व संयमित जीवन)
इन सबका उद्देश्य है — अनुशासित, सच्चे उद्देश्य वाला, सादा और शांतिपूर्ण जीवन जीना ।
आध्यात्मिक सफ़र में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है एक जिन्दा गुरु की, जो मार्गदर्शन व दीक्षा प्रदान करते हैं और साधकों को अंदर की यात्रा में सहायता देते हैं।
वर्तमान में, महाराज बीरेंद्र सिंह जी की अगुवाई में डेरा जगमालवाली इन्ही शिक्षाओ को आगे बढ़ा रहा है — जो सादगी, विनम्रता, अनुशासन और भक्ति पर आधारित हैं।
इस मार्ग पर चलने वाले साधकों के लिए कुछ नियम हैं:
ऐसा जीवन जीना इसीलिए ज़रूरी है क्योंकि इससे मन शांत होता है, ध्यान में तरक्की होती है और आत्मा पर कर्मों का बोझ नहीं पड़ता।
साथ ही, डेरा का उद्देश्य सिर्फ आत्मिक उत्थान ही नहीं है,
बल्कि यह भी है कि हम सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठकर समाज की भलाई में योगदान दें।
चाहे वो सेवा हो, जागरूक करना हो, या प्रेम और आदर से जीवन जीना हो | — डेरा जगमालवाली हर इंसान में सच्ची इंसानियत और ईश्वर से जुड़ाव को जगाने की प्रेरणा देता है।
अगर आप भी सच्चे मन से परमात्मा की खोज में हैं,
तो डेरा जगमालवाली के द्वार आपके लिए खुले हैं — भले ही आप किसी भी जाति, पंथ या धर्म से क्यों न हों।
2024 में परम संत बहादुर चंद “वकील साहिब” जी के महासमाधि के बाद, महाराज बीरेंद्र सिंह जी ने डेरा जगमालवाली की आध्यात्मिक कमान संभाली।
महाराज जी पूरे समर्पण के साथ साधकों को सच्चे मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे रहे हैं — जहाँ सिमरन (ध्यान), सेवा (निस्वार्थ कर्म) और सदाचार (नैतिक जीवन), जीवन के मूल आधार बनते हैं।
उनकी शिक्षाएँ हमें यह सिखाती हैं कि कैसे हम सांसारिक उलझनों और विकर्षणों से ऊपर उठकर आंतरिक ध्यान केंद्रित करें, अनुशासित रहें और आध्यात्मिक जागरूकता को अपनाएँ।
महाराज जी बहुत ही सरल, व्यवहारिक और प्रेमपूर्ण ढंग से मार्गदर्शन करते हैं — जिससे साधक सादगी, विनम्रता, और उच्च उद्देश्य के साथ जीवन जीने की प्रेरणा पाते हैं।
उनके नेतृत्व में डेरा आज भी एक आध्यात्मिक आश्रय स्थल के रूप में कार्य कर रहा है — जहाँ हर साधक को आंतरिक यात्रा में मदद मिलती है और अंदर बसे परमात्मा से जुड़ने का अनुभव होता है।
डेरा जगमालवाली की शिक्षाएँ हर व्यक्ति को आत्म-खोज और आध्यात्मिक जागृति की ओर प्रेरित करती हैं — और यह यात्रा होती है एक जीवित गुरु के मार्गदर्शन में।
यहाँ पर सिखाए जाते हैं तीन मुख्य साधन:
सिमरन (ध्यान) – जिससे मन को स्थिरता और आत्मा को शांति मिलती है।
सत्संग (आध्यात्मिक संगति) – जहाँ सच्चे विचारों और अनुभवों को साझा किया जाता है।
सेवा (निस्वार्थ कर्म) – जो हमें विनम्रता, करुणा और समर्पण सिखाती है।
इन अभ्यासों से साधक के अंदर करुणा, अनुशासन और आत्मिक स्पष्टता जैसे गुण विकसित होते हैं, जो उन्हें अपने अंदर बसे परमात्मा से जुड़ने में मदद करते हैं।
डेरा जगमालवाली एक ऐसा स्थान है, जहाँ हर सच्चे साधक का स्वागत है —
चाहे व्यक्ति की पृष्ठभूमि या विश्वास कुछ भी हो। यहाँ लोग जीवन की व्यस्तताओं से ऊपर उठकर, सदाचार और उद्देश्यपूर्ण जीवन को अपनाना सीखते हैं।
आध्यात्मिक साधना के साथ-साथ, डेरा यह भी सिखाता है कि सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठकर हम समाज के लिए भी कुछ अच्छा करें —
समुदाय सेवा हो, जागरूकता फैलाना हो, या एक-दूसरे के लिए सम्मान बढ़ाना —
डेरा जगमालवाली की शिक्षाएँ केवल व्यक्तिगत बदलाव तक सीमित नहीं, बल्कि समाज में सामूहिक सुख-शांति और सद्भावना की प्रेरणा भी देती हैं।
डेरा जगमालवाली की नींव परम संत गुरबख्श सिंह जी (प्रेमपूर्वक जिन्हें “मैनेजर साहिब जी” कहा जाता है) की दिव्य दृष्टि का परिणाम है।
उनका जीवन स्वयं सिमरन (ध्यान), सदाचार (नैतिक जीवन) और सेवा (निस्वार्थ कर्म) का जीवंत उदाहरण था।
अत्यंत विनम्रता और समर्पण के साथ, उन्होंने हजारों साधकों को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी — जहाँ आंतरिक यात्रा, आत्मबोध और ईश्वर से जुड़ाव की अनुभूति होती है।
मैनेजर साहिब जी की शिक्षाओं में सदा यह बात प्रमुख रही कि ध्यान और अनुशासन, आध्यात्मिक प्रगति के लिए आवश्यक साधन हैं।
उनकी वाणी और जीवन से आज भी यह संदेश मिलता है कि
सांसारिक विकर्षणों से ऊपर उठकर, सच्चाई, सादगी और आत्मिक शांति की ओर बढ़ना ही असली सफलता है।
आज भी डेरा जगमालवाली की बुनियाद में उनके सिद्धांत गहराई से बसे हुए हैं। साधक आज भी उन्हीं शिक्षाओं पर चलकर सिमरन, अनुशासन और सेवा के माध्यम से आत्मा के उजाले की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
मैनेजर साहिब जी की ये अमूल्य शिक्षाएँ, शाश्वत हैं — जो आज भी हर जिज्ञासु को रोशनी दिखा रही हैं।
परम संत बहादुर चंद “वकील साहिब” जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन ईश्वर भक्ति, सिमरन (ध्यान), और निस्वार्थ सेवा (सेवा) को समर्पित किया।
वे परम संत गुरबख्श सिंह “मैनेजर साहिब” जी के शिष्य थे,
और उनके बताए मार्ग पर चलते हुए उन्होंने विनम्रता, भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान के मूल्यों को अपने जीवन में पूर्ण रूप से अपनाया।
उनकी सरलता और समर्पण ने अनगिनत साधकों को धर्म और आत्म शांति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
डेरा जगमालवाली में उनके नेतृत्व ने प्रेम, एकता और आत्मिक जागरूकता के संदेश को और मजबूत किया जहाँ हर आत्मा को परम सत्य की ओर बढ़ने का अवसर मिला।
उनका जीवन इस बात का जीवंत उदाहरण है कि जब इंसान सच्चे मार्गदर्शन और भक्ति के साथ जीवन जीता है, उस समय वह न सिर्फ खुद रोशन होता है, बल्कि दूसरों के जीवन में भी प्रकाश फैलाता है।
परिवार में रहते हुए ध्यान सतगुरु की तरफ रखना है। Dass Birender Singh Ji । Dera Jagmalwali
Dera Jagmalwali Live Satsang 12 hours ago
© DeraJagmalwali, 2025
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