डेरा जगमालवाली संतमत की आध्यात्मिक परंपरा का अनुसरण करता है जो एक सनातन और शाश्वत मार्ग, और आत्मबोध की ओर ले जाता है जिसे संतों ने युगों-युग से सिखाया है।
इस मार्ग का केंद्र है — भीतर के परमात्मा का प्रत्यक्ष अनुभव, जो सिमरन (ध्यान), सदाचारपूर्ण जीवन-शैली, और जीवित गुरु के प्रति समर्पण के माध्यम से संभव होता है।
संतमत यह सिखाता है कि परमात्मा की उपस्थिति हर जीव के भीतर निहित है, और सच्ची साधना, भक्ति, और नियमित अभ्यास के द्वारा आत्मा उस सत्य को पहचान सकती है और जाग्रत हो सकती है।
डेरा जगमालवाली में आध्यात्मिक यात्रा को कुछ सरल लेकिन प्रभावशाली साधनाओं के माध्यम से पोषित किया जाता है, जिनका नियमित अभ्यास साधकों को जीवनभर करने की प्रेरणा दी जाती है।
इस मार्ग की मूल साधना है सिमरन — जिसमें नाम (आंतरिक मंत्र) का ध्यानपूर्वक जाप किया जाता है, जो साधक को नामदान (आध्यात्मिक दीक्षा) के समय प्रदान किया जाता है और उसे नित नेम से जाप करने को कहा जाता है|
ध्यान मन को एकाग्र करता है, चिंताओं को शांत करता है, और साधक को भीतर की दिव्य उपस्थिति से गहरे रूप में जोड़ता है।
सेवा का भाव इस मार्ग में अत्यंत महत्वपूर्ण है — चाहे वह गुरु सेवा हो, डेरे की सेवा, या दूसरों की सहायता। यह सेवा विनम्रता, समर्पण, और निस्वार्थता को बढ़ाती है और साधक के भीतर भक्ति और त्याग की भावना विकसित करती है।
नियमित सत्संग में भाग लेना — जहाँ संतों की शिक्षाएं सााँझा की जाती हैं और आत्मिक विचारों का मनन होता है — साधक को स्थिरता प्रदान करता है
और भक्ति मार्ग पर निरंतर प्रगति में सहायक होता है।
आध्यात्मिक यात्रा का एक अनिवार्य अंग है नैतिक-पवित्रता और संयमित जीवन। इसमें सम्मिलित हैं: शुद्ध शाकाहारी भोजन, शराब और नशा से पूर्ण विरक्ति, सत्य, करुणा, विनम्रता, और सादगी को जीवन में अपनाना।
इन मूलभूत साधनाओं का नियमित अभ्यास साधक को भीतर की यात्रा में स्थिरता प्रदान करता है और परमात्मा से जुड़ने का मार्ग प्रशस्त करता है।
जीवित गुरु संतमत मार्ग का केंद्र बिंदु होता है, जो साधकों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन करते हैं और भीतर की जागृति का दीप जलाते हैं।
गुरु केवल एक शिक्षक ही नहीं होते, बल्कि वे ईश्वर प्राप्ति का पावन माध्यम होते हैं — जिनके माध्यम से आत्मा को मार्गदर्शन, अनुग्रह, और आंतरिक बल प्राप्त होता है।
गुरु की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है साधक को नामदान (आध्यात्मिक दीक्षा) प्रदान करना। यह पावन दीक्षा आत्मा को भीतर बसे परमात्मा से जोड़ने का माध्यम बनती है और सच्ची रूहानी यात्रा की शुरुआत करती है।
नामदान के साथ, गुरु साधक को तीन अमुल्य उपहार देते हैं: भीतर का नाम (मंत्र) — जिसे सिमरन में दोहराया जाता है , शब्द से जुड़ाव — जो आत्मा को परम स्रोत की ओर खींचता है, गुरु-शिष्य का आत्मिक संबंध — जो मार्ग में सहारा बनता है
नामदान के बाद भी गुरु साधक के साथ निजी मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं — वे आध्यात्मिक प्रश्नों का समाधान, अंदर के प्रकाश और नाद का अनुभव, और साधना में प्रगति के लिए निरंतर प्रेरणा प्रदान करते हैं।
उनकी उपस्थिति आश्वासन, दृढ़ता, और आंतरिक स्थिरता की अनुभूति कराती है।
डेरा जगमालवाली में एक विशेष अभिव्यक्ति है — “धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा”, जो साधकों की गहरी श्रद्धा, भक्ति, समर्पण, और विश्वास को दर्शाती है। इस वाक्य का जाप एक भावपूर्ण अहसास है कि रूहानी प्रगति और सुरक्षा केवल सतगुरु की कृपा से ही संभव है।
यह वाणी साधक को विनम्रता, आस्था, और दृढ़ता के साथ आध्यात्मिक मार्ग पर टिके रहने की प्रेरणा देती है।
इस आध्यात्मिक मार्ग का परम उद्देश्य है — सच्चे साधकों को उनकी वास्तविक आत्मिक पहचान तक पहुँचाना, जो अहंकार और मन से परे स्थित है।
जब साधक विकर्षणों और मोह-माया को धीरे-धीरे त्याग देते हैं, तो उनके भीतर शांति, स्पष्टता, और जीवन का सच्चा उद्देश्य प्रकट होता है।
नियमित अभ्यास और सतगुरु की कृपा से, साधक भीतर विराजमान परमात्मा से गहरा संबंध स्थापित करता है — और अपनी उच्चतम आध्यात्मिक क्षमता को जागृत करता है।
परम संत गुरबख्श सिंह (“मैनेजर साहिब” जी) एवं परम संत बहादुर चंद (“वकील साहिब” जी) के रिकॉर्ड किए गए प्रवचन व शिक्षाएँ, डेरा जगमालवाली के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध हैं।
डेरा की सत्संग सभाओं में गाए गए भजन व शब्द, जो स्मरण, ध्यान और भक्ति को गहराई देने में सहायक हैं। यह सभी सामग्री आधिकारिक यूट्यूब पृष्ठ पर सुलभ है।
मैनेजर साहिब जी द्वारा लिखित ग्रंथ, जो डेरा की शिक्षाओं व साधनाओं को गहराई से स्पष्ट करते हैं। इन पुस्तकों को डेरा परिसर से प्राप्त किया जा सकता है या वेबसाइट के माध्यम से अनुरोध करके मंगवाया जा सकता है।
Finding Peace at Dera Jagmalwali Changed My Life
“The teachings of Maharaj Ji helped me overcome anger and negativity. Simran has brought unparalleled peace to my life.”
© DeraJagmalwali, 2025
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